आज का गाबरू (हरियाणवी)
इस कविता में कर्मजीत दलाल आज के उस नौजवान बालक नै समझाण की कोशिश करै सै ,जो घर त...पूरा देखें
इस कविता में कर्मजीत दलाल आज के उस नौजवान बालक नै समझाण की कोशिश करै सै ,जो घर तै पढ़ने के लिए जाते हैं लेकीन कुछ ग़लत संगत के कारण अपणे वास्तविक मकसद से भटक जावै सैं और घर-परिवार की उम्मीदों पै पाणी फेर देवैं , तो उनै प्रेरित करण खातर ये बोल लिखे के मां- बाबू की आश तै बढके दुनिया में कोई चीज नहीं सै।