
हीर रांझा की फुटकार रागनियां (हरियाणवी)
हीर रांझा की विरह वेदना
हीर रांझा की विरह वेदना

एपिसोड 1
मूळा रै जाट कनपाड़ा रै होग्या
2m
यह रागिनी सॉन्ग बादशाह राय धनपत सिंह द्वारा रचित है यह रागनी हीर रांझा सांग से ली गई है जब रांझा जोगलेकर चल पड़ता है तो रांझा अपने मन में गुनगुनाता है और कवि ने वहां का दृश्य बताया है और क्या कहा है
E1: मूळा रै जाट कनपाड़ा रै होग्या

एपिसोड 2
कदे डूबो दे कदे तिरा दे या डोर धनी के हाथ
9m
"कदे डुबो दे कदे तरा दे यह रागिनी राय धनपत सिंह द्वारा रचित सॉन्ग हीर रांझा चली गई है जब रांझा बाबा सूरज नाथ से जॉब प्राप्त करता है और जोगलेकर जबरन जग से पूछता है बाबा जी तो रांझा उसको जवाब देता हुआ कहता है कि मेरे बस का कुछ भी नहीं हमारा आज सब कुछ उस परमपिता परमात्मा के हाथ में है वही हमारी नाव को कभी तेरा देता है और कभी डुबो देता है"
E2: कदे डूबो दे कदे तिरा दे या डोर धनी के हाथ

एपिसोड 3
कुएं पै लुगाइयां धौरै काम के फकीर का
7m
यह रागिनी हमारे सूर्य कवि पंडित लख्मीचंद द्वारा रचित सामने रांझा से ली गई है इसमें जब जब रांझा जोगलेकर रंगपुरी के कुए पर जाता है और वहां की पनिहारीयां से पानी पीने के बहाने हीर शहजादी के बारे में पूछता है पनिहारी आंखों से कहते कि बाबा जी आप केवल पानी की प्यास को लेकर ही हमारे कुए पर नहीं आए आप कुछ और भी पूछना चाहते हैं उनको क्या कहते हैं
E3: कुएं पै लुगाइयां धौरै काम के फकीर का

एपिसोड 4
बाबा जी की श्यान पै बेमाता चाळा करगी
8m
यह रागिनी पंडित मांगेराम द्वारा रचित सॉन्ग हीर रांझा से ली गई है इसमें पनिहारीयां जब उस राज्य से जोकि जोकि के भेष में होता है बाबा के भेष में होता है उसके रूप रोशन को देख कर कहते हैं कि आप बाबा तो वैसे ही बन गए उसके सौंदर्य का जिक्र करती है और क्या कहती है
E4: बाबा जी की श्यान पै बेमाता चाळा करगी

एपिसोड 5
चमचम चमचम चमके लागै
3m
यह रागनी पंडित मांगेराम द्वारा रचित सॉन्ग वीर विक्रमाजीत भाग नंबर दो खंडेराव परी के किस्से से लिया गया है जब वह वीर विक्रमाजीत खंडेराव परी के शहर में गया तो वहां वह खंडेराव परी एक चौबारे पर अपने केस सुखा रही थी उसके खुले केसों को देखकर उसके स्वरूप हुसन सौंदर्य का वर्णन करता हुआ वीर विक्रमाजीत क्या कहता है
E5: चमचम चमचम चमके लागै