
मास्टर सरजू की क्लासिकल रागनियां (हरियाणवी)
इस शो में नल दमयंती, हीरामल जमाल व शाही लकड़हारा सांग से फुटकर रागनियां ली गई है...पूरा देखें
इस शो में नल दमयंती, हीरामल जमाल व शाही लकड़हारा सांग से फुटकर रागनियां ली गई हैं जिन्हें मास्टर सरजू खान कापड़ों ने असली तर्ज पर पक्के साजों पर गाया है|

एपिसोड 1
बाहर खड़ी जनता या अरदास करै सै
7m
यह रागनी राजा नल के किस्से से है और यह रागनी श्री धनपत राय सिंह जी द्वारा रचित है। इस रागनी में कवि ने दर्शाया है जब राजा नल पुष्कर से जुआ खेलता खेलता हार जाता है और गमगीन होकर अपने कमरे में जाकर अपने दोस्त गिनता है तो बाहर रानी आवाज लगाती है दमयंती रानी की आवाज को राजा नल अनसुना और अनदेखा कर देता है तो फिर रानी कहती है कि राजा आप बाहर आइए आप की जनता आपको याद कर रही है।
E1: बाहर खड़ी जनता या अरदास करै सै

एपिसोड 2
वो हीरामल ना आया
8m
यह रागनी राय धनपत सिंह द्वारा रचित सॉन्ग हीरामल जमाल से ली गई है। जब हीरामल की धर्मपत्नी से उसके सास-ससुर पूछते हैं कि अभी तक बहुत देर हो गई लेकिन हीरामल नहीं आया तो वहां का हवाला दिया गया है।
E2: वो हीरामल ना आया

एपिसोड 3
मैं तो हो गयी लाचार पिया
7m
यह रागनी सॉन्ग नल दमयंती से ली गई है। जब राजा नल और दमयंती को देश निकाला और बियाबान जाने के लिए कहा जाता है तो रानी चलती चलती हार जाती है यह सॉन्ग का नाम है नल दमयंती रब जब राजा नल और दमयंती को देश निकाला और बियाबान जाने के लिए कहा गया पुष्कर ने तब वहां रानी और राजा को वनवास मिल गया होता है रानी चलती चलती हार जाती है थक जाती है तो क्या कहती है जाती है ? यह सारा वार्तालाप इस रागनी में है।
E3: मैं तो हो गयी लाचार पिया

एपिसोड 4
तेरी रूपाणी कै ताप चढ़या
8m
यह रागनी श्री लख्मीचंद द्वारा रचित सॉन्ग शाही लकड़हारा से ली गई है। जब लकड़हारे की माता रुपाणी को बहुत तेज बुखार हो जाता है और उसको लगता है कि वह अब मरने वाली है क्योंकि जंगल बियाबान में कोई रोगी का इलाज करने वाला कोई नहीं था। अंतिम समय में लकड़हारे के बाजू पर चिट्ठी बांधती है कि तू किसी आम आदमी का बेटा नहीं है बल्कि तू महाराजा का पुत्र है और वह चिट्ठी उसके बाजू पर बांधकर अंतिम बार अपने बेटे के लाड़ करती हुई रोने लग जाती है और क्या कहती है।
E4: तेरी रूपाणी कै ताप चढ़या

एपिसोड 5
ये हंसा चलण को तैयार है
6m
यह भजन पंडित शंकर दास ने इस शरीर के ऊपर लिखा है यह शरीर नश्वर है और आत्मा अजर -अमर है। जीव को हंसा बताकर कहा है कि अब कभी भी बुलावा आ सकता है। यहां ना तो कोई सदा रहा है ना ही कोई रहेगा। सदा नाम तो केवल साईं का रहा है इसलिए उस परमपिता परमात्मा का भजन कर क्योंकि पता नहीं कब बुलावा आ जाए और तुझे उसके घर जाना पड़े। यह हंसा चलने के लिए तैयार है तेरा यहां कुछ भी नहीं हे बंदे तू केवल राम नाम भज।
E5: ये हंसा चलण को तैयार है